मगध साम्राज्य | मगध साम्राज्य upsc | about मगध साम्राज्य

मगध साम्राज्य | मगध साम्राज्य upsc | about मगध साम्राज्य
मौर्य वंश के इतिहास को जानने के साधन
- (a) यूनानी राजदूत मेगस्थनीज की पुस्तक इण्डिका
- (b) कौटिल्य का अर्थशास्त्र
- (c) अशोक के अभिलेख
- (d) बौद्ध ग्रन्थ दीपवंश व महावंश
- (e) विशाखदत्त का मुद्राराक्षस नाटक
- (f) नेपाल एवं तिब्बती ग्रन्थ ।
ईसा पूर्व के सोलह महाजनपदों में मगध सर्वाधिक शक्तिशाली महाजनपद था।
प्राचीन भारत में साम्राज्यवाद की शुरूआत या विकास का श्रेय मगध को दिया जाता है।
हर्यक वंश ( 544 ई. पू.-412 ई.पू. )
- मगध साम्राज्य की महत्ता का वास्तविक संस्थापक बिम्बिसार (544 ई. पू.-492 ई. पू.) था।
- उसकी राजधानी गिरिब्रज (राजगृह) थी।
- बिम्बिसार ने वैवाहिक सम्बन्धों के आधार पर अपनी राजनीतिक स्थिति सुदृढ़ की।
- बिम्बिसार ने अपने राजकीय चिकित्सक ‘जीवक’ को पड़ोसी राज्य अवन्ति के शासक चण्डप्रद्योत महासेन की चिकित्सा के लिए भेजा था।
- बिम्बिसार को उसके पुत्र अजातशत्रु (492 ई. पू.-460 ई. पू.) ने बन्दी बनाकर सत्ता पर कब्जा जमाया।
- अजातशत्रु को ‘कुणिक’ के नाम से भी जाना जाता है।
- अजातशत्रु ने वज्जि संघ के लिच्छवियों को पराजित करने के लिए ‘रथमूसल’ एवं ‘महाशिलाकण्टक’ नामक नये हथियारों का प्रयोग किया।
- अजातशत्रु के शासनकाल में राजगृह के सप्तपर्णि गुफा में प्रथम बौद्ध संगीति का आयोजन हुआ था।
- अजातशत्रु का पुत्र उदयिन (उदयभद्र) (460 ई. पू.-444 ई. पू.) हर्यक वंश का तीसरा महत्वपूर्ण शासक था, उसने पाटलिपुत्र (वर्तमान पटना) की स्थापना की तथा उसे अपनी राजधानी बनाया।
शिशुनाग वंश ( 412 ई. पू. – 344 ई. पू. )
हर्यक वंश के सेनापति शिशुनाग ने मगध की सत्ता पर कब्जा कर शिशुनाग वंश की स्थापना की।
इस वंश के शासक कालाशोक (काकवर्ण) के शासनकाल में मगध की राजधानी वैशाली थी, जहाँ द्वितीय बौद्ध संगीति का आयोजन हुआ। ।
नन्द वंश ( 344 ई. पू.-324 ई.पू. )
नन्द वंश का संस्थापक महापदमनन्द था।
उसे सर्वक्षत्रान्तक अर्थात् ‘सभी क्षत्रियों का नाश करने वाला कहा गया हैं महापद्मनन्द ने एकछत्र राज्य की स्थापना की तथा ‘एकराट्’ की उपाधि धारण की।
नन्द वंश का अंतिम शासक धननन्द था। इसी के शासनकाल में सिकन्दर ने भारत पर आक्रमण किया था।