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राजस्थान का एकीकरण | राजस्थान का एकीकरण इन हिंदी

राजस्थान का एकीकरण | राजस्थान का एकीकरण इन हिंदी
राजस्थान का एकीकरण | राजस्थान का एकीकरण इन हिंदी
  • राजस्थान का एकीकरण ( Rajasthan Ka Ekikaran ) 7 चरणों में पूरा हुआ राजस्थान का एकीकरण ( Rajasthan Ka Ekikaran ) 18 मार्च 1948 से शुरू होकर 1 नवंबर 1956 को पूरा हुआ इसमें 8 वर्ष 7 माह 14 दिन लगे।
  • 5 जुलाई 1947 को रियासती सचिवालय की स्थापना की गयी। 
  • रियासती सचिवालय के अनुसार वे रियासतें जिनकी आय 1 करोड़ से अधिक हो व जनसंख्या 10 लाख से अधिक हो, अपना स्वतंत्र अस्तित्व रख सकती हैं। 
  • उस समय राजस्थान में ऐसी 4 रियासतें थी। – 1. जयपुर 2. जोधपुर 3. उयदपुर 4. बीकानेर 
  • 18 जुलाई 1947 को धारा- 8 के तहत देशी रियासतों पर से ब्रिटिश सर्बोच्चता समाप्त कर दी गयी। (स्वतंत्रता अधिनियम के तहत) 
  • आजादी के समय राजस्थान में 19 रियासतें, 3 ठिकाणे (1. लावा 2. नीमराणा 3. कुशलगढ़) व एक केन्द्र
  • शासित प्रदेश (अजमेर मेरवाड़ा) था। मेवाड़ महाराणा भूपालसिंह ने राजस्थान गुजरात व मालवा की रियासतों को मिलाकर राजस्थान यूनियन बनाने का प्रस्ताव रखा, इसके लिए 25, 26 जून 1947 को अधिवेशन भी बुलाया।
  • इसमें 22 राजाओं ने भाग लिया, पर जयपुर , जोधपुर और बीकानेर के रियासतों के रूचि नहीं लेने के कारण यह निर्णय फलीभूत नहीं हो सका।

प्रथम चरण :- मत्स्य संघ

  • भरतपुर, धौलपुर, अलवर व करौली रियासतों व नीमराणा ठिकाने को मिलाकर मत्स्य संघ बनाया गया।
  • मत्स्य संघ का नामकरण के. एम. मुंशी ने किया। 
  • धौलपुर महाराजा उदयभानसिंह 
  • राजप्रमुख – करौली महाराजा गणेशपालसिंह 
  • उपराजप्रमुख – अलवर – राजधानी – भरतपुर – उद्घाटन 
  • मत्स्य संघ का उद्घाटन 18 मार्च 1948 को भरतपुर के किले में केन्द्रीय खनिज मंत्री एन. वी. गाडविल ने किया।
  • शोभाराम कुमावत (अलवर के) को मत्स्य संघ का प्रधानमंत्री बनाया गया। 
  • जुगल किशोर चतुर्वेदी को उपप्रधानमंत्री बनाया गया। 
  • अलवर व भरतपुर रियासतों का नियत्रंण भारत सरकार ने पहले ही अपने कब्जे में ले लिया था।

द्वितीय चरण :- राजस्थान संघ / पूर्व राजस्थान 

  • 9 रियासत + 1 ठिकाने को मिलाकर राजस्थान संघ को बनाया गया। 
  • कोटा, बूंदी, झालावाड़, प्रतापगढ़, डुंगरपुर, बांसवाड़ा, किशनगढ़, टोंक , शाहपुरा, कुशलगढ़ (ठिकाना) 
  • कोटा – राजधानी 
  • कोटा महाराजा भीमसिंह – राजप्रमुख 
  • बूंदी महाराजा बहादुरसिंह – वरिष्ठ उपराजप्रमुख 
  • डुगरपुर के लक्ष्मणसिंह – कनिष्ठ उपराजप्रमुख
  • शाहपुरा के गोकुल लाल असावा 
  • प्रधानमंत्री – 25 मार्च 1948 को एन. वी. गाडविल ने कोटा में उद्घाटन किया। 
  • शाहपुरा व किशनगढ़ दो ऐसी रियासतें थी, जिन्हें तोपो की सलामी का अधिकार नहीं था।
  • बांसवाडा महारावल चनद्रवीरसिंह ने विलय पत्र पर हस्ताक्षर करते हुए कहा था कि में अपने Death Warant पर हस्ताक्षर कर रहा हूं।

तृतीय चरणसंयुक्त राजस्थान 

  • राजस्थान संघ + मेवाड़ 
  • मेवाड़ राणा भूपालसिंह – राजप्रमुख 
  • कोटा महाराजा भीमसिंह – उपराजप्रमुख 
  • बूंदी महाराजा बहादुरसिंह – वरिष्ठ उपराजप्रमुख 
  • डुंगरपुर महारावल लक्ष्मणसिंह – कनिष्ठ उपराजप्रमुख 
  • 18 अप्रैल 1948 को उदयपुर में जवाहर लाल नेहरू ने उद्घाटन किया। 
  • इसमें यह निर्णय लिया गया कि संयुक्त राजस्थान संघ का प्रतिवर्ष एक अधिवेशन कोटा में होगा और कोटा के विकास के लिए विशेष प्रयास किये जाएगें। 
  • राजधानी – उदयपुर
  • मेवाड़ महाराणा भूपालसिंह को 20 लाख रू. सालाना ( प्रिवी पर्स के रूप में ) दिय जाने थे, जिनमें से 10 लाख रू. – प्रिवी पर्स ।
  • 5 लाख रू. – राजप्रमुख के रूप में वेतन
  • 5 लाख रू. – धार्मिक कार्यो के लिए दिए गए। 
  • प्रधानमंत्री – माणिक्य लाल वर्मा 
  • उपप्रधानमंत्री – गोकुल लाल असावा 
  • इसमें मंत्रिमंडल में सामन्तों को शामिल करने से गतिरोध उत्पन्न हो गया।

चतुर्थ चरण :- वृहत् राजस्थान 

  • संयुक्त राजस्थान संघ + बीकानेर, जोधपुर, जयपुर, जैसलमेर 
  • मेवाड़ महाराणा भूपालसिंह – महाराजप्रमुख 
  • जयपुर राज सवाई मानसिंह द्वितीय – राजप्रमुख 
  • जोधपुर राजा हनवन्तसिंह – वरिष्ठ उपराजप्रमुख 
  • कोटा महाराजा भीमसिंह – वरिष्ठ उपराजप्रमुख 
  • बूंदी के बहादूरसिंह – कनिष्ठ उपराजप्रमुख 
  • डुगरपुर के लक्ष्मणसिंह – कनिष्ठ उपराजप्रमुख 
  • सत्यनारायण राव समिति की सिफारिश पर जयपुर को राजधानी बनाया। 
  • 30 मार्च 1949 को वल्लभ भाई पटेल ने जयपुर में उद्घाटन किया। 
  • इस दिन को ‘राजसथान दिवस’ के रूप में मनाया जाता हैं। – प्रधानमंत्री
  • हीरालाल शास्त्री – जोधपुर
  • हाई कोर्ट – बीकानेर
  • शिक्षा विभाग। – भरतपुर
  • कृषि विभाग। – कोटा
  • वन एवं सहकारी विभाग। – उदयपुर
  • खनिज विभाग। जयपुर के राजा को 18 लाख रू. PRIVI PURSE के रूप में दिए। 
  • जोधपुर – 17.5 लाख रू. 
  • बीकानेर – 17 लाख रू

पंचम चरण :- संयुक्त वृहद राजस्थान 

  • वृहद राजस्थान + मत्स्य संघ (15 मई 1949) 
  • शोभाराम कुमावत को शास्त्री मंत्रिमंडल में शामिल कर लिया गया। 
  • शंकरराव देव समिति की सिफारिश के आधार पर मत्स्य संघ का विलय किया गया।

षष्ठम् चरणराजस्थान 

  • संयुक्त वृहद राजस्थान + सिरोही (आबू व देलवाड़ा को छोड़कर)
  • 26 जनवरी 1950 आबू व देलवाड़ा सहित 89 गांव बॉम्बे राज्य में शामिल किए गए।
  • गोकुल भाई भट्ट का हाथल गांव राजस्थान में शामिल किया गया। 
  • हीरालाल शास्त्री – पहले मनोनीत मुख्यमंत्री

सप्तम चरण 

  • फजल अली की अध्यक्षता में राज्य पुनर्गठन आयोग का गठन किया गया था (तीन सदस्यीय) 
  • के. एम. पणिक्कर (बीकानेर की तरफ से संविधान सभा में जाने वाले सदस्य) 
  • हृदयनाथ कुजरू – इसकी सिफारिशों के आधार पर 1 नवम्बर 1956 को अजमेर-मेरवाड़ा का राजस्थान में विलय कर दिया गया। 
  • अजमेर को राजस्थान का 26 वां जिला बनाया गया। 
  • आबू व देलवाड़ा राजस्थान में मिलाये गए। 
  • मध्यप्रदेश का सुनेल टप्पा राजस्थान में मिलाया गया। 
  • राजस्थान का सिरोंज मध्यप्रदेश में मिलाया। गया। 
  • इस समय राजस्थान के मुख्यमंत्री मोहनलाल सुखाड़िया थे। 
  • राजप्रमुख का पद समाप्त कर दिया गया। (7वें संविधान संशोधन 1956 द्वारा) 
  • सरदार गुरूमुख निहालसिंह को राजस्थान का पहला राज्यपाल बनाया गया।
  • अजमेर – मेरवाड़ा एक केन्द्रशासित प्रदेश था जिसमें 30 सदस्यों की धारा सभा होती थी। इसके मुख्यमंत्री हरिभाऊ उपाध्याय थे। 
  • इन्होंने अजमेर के राजस्थान में विलय का विरोध किया था।

राजस्थान का एकीकरण कब हुआ

राजस्थान का एकीकरण ( Rajasthan Ka Ekikaran ) 7 चरणों में पूरा हुआ राजस्थान का एकीकरण ( Rajasthan Ka Ekikaran ) 18 मार्च 1948 से शुरू होकर 1 नवंबर 1956 को पूरा हुआ इसमें 8 वर्ष 7 माह 14 दिन लगे।

राजस्थान का एकीकरण कितने चरणों में हुआ

राजस्थान का एकीकरण ( Rajasthan Ka Ekikaran ) 7 चरणों में पूरा हुआ

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