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गौतम बुद्ध | गौतम बुद्ध का जीवन परिचय | बौद्ध धर्म

गौतम बुद्ध | गौतम बुद्ध का जीवन परिचय | बौद्ध धर्म

  • जन्म :- लुम्बिनी ग्राम, कपिलवस्तु 
  • जन्म का वर्ष :-563 ई. पू. 
  • पिता :- शुद्धोधन (शाक्य गण के प्रधान) 
  • माता :- महामाया (कोलियगण की राजकुमारी) 
  • पत्नी :- यशोधरा 
  • पुत्र :- राहुल 
  • गृह त्याग :- 29 वर्ष की आयु में (महाभिनिष्क्रमण) 
  • तपस्थल :- उरुवेला (निरंजना नदी के किनारे)
  • निर्वाण :- ज्ञान की प्राप्ति 35 वर्ष की अवस्था में 
  • महापरिनिर्वाण :- 483 ई. पू. (कुशीनगर में)
गौतम बुद्ध | गौतम बुद्ध का जीवन परिचय | बौद्ध धर्म
गौतम बुद्ध | गौतम बुद्ध का जीवन परिचय | बौद्ध धर्म

गौतम बुद्ध का जीवन परिचय

  1. अपने मोक्ष के लिए खुद ही प्रयत्न करें. दूसरों पर निर्भर ना रहे।
  2. किसी विवाद में हम जैसे ही क्रोधित होते हैं हम सच का मार्ग छोड़ देते हैं, और अपने लिए प्रयास करने लगते हैं।
  3. आपके पास जो कुछ भी है है उसे बढ़ा-चढ़ा कर मत बताइए, और ना ही दूसरों से ईर्ष्या कीजिये।
  4. घृणा घृणा से नहीं प्रेम से ख़त्म होती है, यह शाश्वत सत्य है।
  5. स्वास्थ्य सबसे बड़ा उपहार है, संतोष सबसे बड़ा धन है, वफ़ादारी सबसे बड़ा संबंध है।
  6. बिना सेहत के जीवन जीवन नहीं है; बस पीड़ा की एक स्थिति है- मौत की छवि है।
  7. बुराई होनी चाहिए ताकि अच्छाई उसके ऊपर अपनी पवित्रता साबित कर सके।
  8. वह जो पचास लोगों से प्रेम करता है उसके पचास संकट हैं, वो जो किसी से प्रेम नहीं करता उसके एक भी संकट नहीं है।
  9. ख़ुशी अपने पास बहुत अधिक होने के बारे में नहीं है, ख़ुशी बहुत अधिक देने के बारे में है।
  10. जैसे मोमबत्ती बिना आग के नहीं जल सकती, मनुष्य भी आध्यात्मिक जीवन के बिना नहीं जी सकता।
  11. तीन चीजें ज्यादा देर तक नहीं छुप सकतीं, सूर्य, चंद्रमा और सत्य।
  12. क्रोध को पाले रखना गर्म कोयले को किसी और पर फेंकने की नीयत से पकड़े रहने के सामान है; इसमें आप ही जलते हैं।
  13. क्रोध में हजारों शब्दों को गलत बोलने से अच्छा, मौन वह एक शब्द है जो जीवन में शांति लाता है।
  14. जीवन में किसी उद्देश्य या लक्ष्य तक पहुंचने से ज्यादा महत्वपूर्ण उस यात्रा को अच्छे से संपन्न करना होता है।  
  15. बुराई से बुराई कभी खत्म नहीं होती। घृणा को तो केवल प्रेम द्वारा ही समाप्त किया जा सकता है, यह एक अटूट सत्य है।
  16. जीवन में हजारों लड़ाइयां जीतने से अच्छा है कि तुम स्वयं पर विजय प्राप्त कर लो। फिर जीत हमेशा तुम्हारी होगी, इसे तुमसे कोई नहीं छीन सकता।
  17. सत्य के मार्ग पर चलते हुए व्यक्ति केवल दो ही गलतियां कर सकता है, पहली या तो पूरा रास्ता न तय करना, दूसरी या फिर शुरुआत ही न करना।
  18. भविष्य के सपनों में मत खोओ और भूतकाल में मत उलझो सिर्फ वर्तमान पर ध्यान दो। 
  19. जीवन में आप चाहें जितनी अच्छी-अच्छी किताबें पढ़ लो, कितने भी अच्छे शब्द सुनो, लेकिन जब तक आप उनको अपने जीवन में नहीं अपनाते तब तक उसका कोई फायदा नहीं होगा।

वैशाख माह की पूर्णिमा को भगवान बुद्ध का जन्म हुआ था इसलिए इसे बुद्ध पूर्णिमा भी कहा जाता है। इस बार यह  26 मई को मनाया जा रहा है । संपूर्ण वैशाख माह अत्यंत ही पुण्यदायी और पवित्र होता है। भगवान बुद्ध महानतम आध्यात्मिक गुरुओं में से एक थे। भगवान बुद्ध द्वारा दिया गया शांति, भाईचारे और करुणा का शाश्वत संदेश समग्र विश्व को दिया था।

उनके उपदेश,संदेश और विचार  मनुष्यों को नैतिक मूल्‍यों और संतोष पर आधारित जीवन जीने की दिशा में प्रयास करने के लिए प्रेरित करता है। भगवान बुद्ध ने पूरी दुनिया को करुणा और सहिष्णुता के मार्ग के लिए प्रेरित किया। वैशाख-बुद्ध पूर्णिमा को गौतम बुद्ध के जन्म, बुद्धत्व की प्राप्ति और महा परिनिर्वाण दिवस के रूप में मनाया जाता है।

गौतम बुद्ध ने अपना पहला उपदेश सारनाथ (ऋषिपतनम) में दिया।

बुद्ध ने सांसारिक दुःखों के बारे में चार आर्य सतय बताये हैं। ये हैं- दुःख, दुःख समुदय, दुःख निरोध तथा दुःख निरोध गामिनी प्रतिपदा।

दुःखों से छुटकारा पाने के लिए बुद्ध ने अष्टांगिक मार्ग का उपदेश दिया। ये हैं- सम्यक् दृष्टि, सम्यक् संकल्प, सम्यक् वाक्, सम्यक, कर्मानत, सम्यक् आजीव, सम्यक् व्यायाम, सम्यक् स्मृति तथा सम्यक् समाधि।

प्रतीत्यसमुत्पाद को गौतम बुद्ध की शिक्षाओं का सार कहा जाता है।

बौद्ध धर्म अनीश्वरवादी तथा अनात्मवादी है।

बुद्ध, संघ एवं धम्म- ये तीन बौद्ध धर्म के त्रिरत्न हैं।

जातक कथाओं में गौतम बुद्ध की जीवन सम्बन्धी कहानियाँ हैं।

बौद्ध धर्म ग्रन्थों; सुत्त पिटक, विनय पिटक तथा अभिधम्म पिटक; को सामूहिक रूप से ‘त्रिपिटक’ कहा गया है।

त्रिपिटक की भाषा पालि है।

महात्मा बुद्ध ने अपने उपदेश पालि भाषा में दिये।

कालान्तर, कनिष्क के शासनकाल में बौद्ध धर्म का विभाजन हीनयान तथा महायान दो शाखाओं में हो गया। 

हीनयान शाखा का अनुयायियों ने गौतम बुद्ध के मूल उपदेशों को स्वीकार किया जबकि महायान शाखा के अनुयायियों ने बुद्ध की मूर्ति-पूजा का प्रचलन शुरू किया।

गौतम बुद्ध कौन थे

जन्म :- लुम्बिनी ग्राम, कपिलवस्तु 
जन्म का वर्ष :-563 ई. पू. 
पिता :- शुद्धोधन (शाक्य गण के प्रधान) 
माता :- महामाया (कोलियगण की राजकुमारी) 
पत्नी :- यशोधरा 
पुत्र :- राहुल 
गृह त्याग :- 29 वर्ष की आयु में (महाभिनिष्क्रमण) 
तपस्थल :- उरुवेला (निरंजना नदी के किनारे)
निर्वाण :- ज्ञान की प्राप्ति 35 वर्ष की अवस्था में 
महापरिनिर्वाण :- 483 ई. पू. (कुशीनगर में)

गौतम बुद्ध सुविचार

  1. अपने मोक्ष के लिए खुद ही प्रयत्न करें. दूसरों पर निर्भर ना रहे।
  2. किसी विवाद में हम जैसे ही क्रोधित होते हैं हम सच का मार्ग छोड़ देते हैं, और अपने लिए प्रयास करने लगते हैं।
  3. आपके पास जो कुछ भी है है उसे बढ़ा-चढ़ा कर मत बताइए, और ना ही दूसरों से ईर्ष्या कीजिये।
  4. घृणा घृणा से नहीं प्रेम से ख़त्म होती है, यह शाश्वत सत्य है।
  5. स्वास्थ्य सबसे बड़ा उपहार है, संतोष सबसे बड़ा धन है, वफ़ादारी सबसे बड़ा संबंध है।
  6. बिना सेहत के जीवन जीवन नहीं है; बस पीड़ा की एक स्थिति है- मौत की छवि है।
  7. बुराई होनी चाहिए ताकि अच्छाई उसके ऊपर अपनी पवित्रता साबित कर सके।
  8. वह जो पचास लोगों से प्रेम करता है उसके पचास संकट हैं, वो जो किसी से प्रेम नहीं करता उसके एक भी संकट नहीं है।
  9. ख़ुशी अपने पास बहुत अधिक होने के बारे में नहीं है, ख़ुशी बहुत अधिक देने के बारे में है।
  10. जैसे मोमबत्ती बिना आग के नहीं जल सकती, मनुष्य भी आध्यात्मिक जीवन के बिना नहीं जी सकता।
  11. तीन चीजें ज्यादा देर तक नहीं छुप सकतीं, सूर्य, चंद्रमा और सत्य।
  12. क्रोध को पाले रखना गर्म कोयले को किसी और पर फेंकने की नीयत से पकड़े रहने के सामान है; इसमें आप ही जलते हैं।
  13. क्रोध में हजारों शब्दों को गलत बोलने से अच्छा, मौन वह एक शब्द है जो जीवन में शांति लाता है।
  14. जीवन में किसी उद्देश्य या लक्ष्य तक पहुंचने से ज्यादा महत्वपूर्ण उस यात्रा को अच्छे से संपन्न करना होता है।  
  15. बुराई से बुराई कभी खत्म नहीं होती। घृणा को तो केवल प्रेम द्वारा ही समाप्त किया जा सकता है, यह एक अटूट सत्य है।
  16. जीवन में हजारों लड़ाइयां जीतने से अच्छा है कि तुम स्वयं पर विजय प्राप्त कर लो। फिर जीत हमेशा तुम्हारी होगी, इसे तुमसे कोई नहीं छीन सकता।
  17. सत्य के मार्ग पर चलते हुए व्यक्ति केवल दो ही गलतियां कर सकता है, पहली या तो पूरा रास्ता न तय करना, दूसरी या फिर शुरुआत ही न करना।
  18. भविष्य के सपनों में मत खोओ और भूतकाल में मत उलझो सिर्फ वर्तमान पर ध्यान दो। 
  19. जीवन में आप चाहें जितनी अच्छी-अच्छी किताबें पढ़ लो, कितने भी अच्छे शब्द सुनो, लेकिन जब तक आप उनको अपने जीवन में नहीं अपनाते तब तक उसका कोई फायदा नहीं होगा।
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