राणा सांगा | महाराणा सांगा | संग्रामसिंह | महाराणा सांगा का इतिहास

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राणा सांगा | महाराणा सांगा | संग्रामसिंह | महाराणा सांगा का इतिहास :- 1509-1527 ई.

हाराणा सांगा ( संग्रामसिंह ) का इतिहास - History Of Maharana Sanga :-  1509-1527 ई.
हाराणा सांगा ( संग्रामसिंह ) का इतिहास – History Of Maharana Sanga :- 1509-1527 ई.

पृथ्वीराज – सांगा का बड़ा भाई। – रायमल का ज्येष्ठ पुत्र। 

  • इसे ‘उड़ना राजकुमार’ के नाम से जानते हैं। 
  • अपनी पत्नी ‘तारा’ के नाम पर इसने अजमेर के किले का पुनर्निमाण करवाकर इसे तारागढ नाम दिया। 
  • पृथ्वीराज की ’12 खम्भों की छतरी’ कुम्भलगढ़ के किले में बनी हुयी हैं।

जयमल – सांगा का भाई। 

  • जयमल सौलंकियों के खिलाफ लड़ता हुआ मारा गया। (तारा के पिता का नाम सुरताण सौलंकी था।)
  • एक चारण महिला की भविष्यवाणी सुनकर पृथ्वीराज व जयमल ने सांगा पर आक्रमण कर दिया था। 
  • सांगा को अपना एक हाथ खोना पड़ा। सांगा वहां से भागकर सेवन्त्री गांव के रूपनारायण मंदिर में पंहुचता हैं। यहां पर मारवाड़ का बीदा जैतमालात (राठौड़ों की उपशाखा) सांगा की रक्षा करता हैं। बीदा रक्षा करते हुये लड़ता हुआ मारा जाता हैं। 
  • सांगा यहां से श्रीनगर (अजमेर) में कर्मचन्द पंवार के यहां शरण लेता हैं। 

खातोली (कोटा) का युद्ध – Battle of Khatoli – 1517 ई.

  • बाड़ी (धौलपुर) का युद्ध (1519ई.):- -| इन दोनों युद्धो में दिल्ली के सुल्तान इब्राहिम लोदी को हराया। 
  • 1519 ई. गागरोन के युद्ध में मालवा के सुल्तान महमूद खिलजी द्वितीय को हराता हैं।
  • इस समय गागरोन का किला सांगा के दोस्त ‘मेदिनी राय’ ( चन्देरी के राजा) के पास था। 
  • गुजरात की रियासत ईडर के उत्तराधिकार के प्रश्न पर गुजरात के राजा ‘मुजफ्फर शाह द्वितीय’ को हराया। 
  • बयाना के युद्ध में सांगा, बाबर को हराता हैं। (16 फरवरी 1527ई.) 

खानवा का युद्धBattle of Khanwa

  • 17 मार्च 1527 ई.। 
  • बाबर इस युद्ध से पहले जेहाद की घोषणा करता हैं।
  • शराब के व्यक्तिगत सेवन पर रोक। 
  • राणा सांगा युद्ध से पहले राजस्थान की लगभग समस्त रियासतों को युद्ध में सहायता के लिए पत्र लिखता हैं, इसे पाती परवन कहते हैं।
  • खानवा के युद्ध में भाग लेने वाले अन्य राजा। 
  • आमेर- पृथ्वीराज कछवाहा 
  • चन्देरी- मेदिनी राय 
  • बीकानेर- कल्याण मल (जैतसी का पुत्र) 
  • जोधपुर (मारवाड़)- मालदेव (गांगा का पुत्र) 
  • मेड़ता- वीरम देव 
  • सिरोही- अखैराज देवड़ा 
  • वागड़- उदयसिंह (डुंगरपुर-बाँसवाड़ा) 
  • मेवात- हसन खां मेवाती। 
  • इब्राहिम लोदी का छोटा भाई महमूद लोदी। 
  • युद्ध में सांगा की आंख में तीर लगने से उसे युद्ध मैदान से मालदेव बाहर ले गया। झाला अज्जा ने फिर युद्ध का नेतृत्व किया। 
  • युद्ध में बाबर की की जीत हो गयी। 
  • घायल सांगा को बसवा (दौसा) लाया गया। 
  • सांगा को युद्धरत । युद्ध उन्मुक्त देखकर ईरीच- ( M.P.) में साथी सरदारो द्वारा जहर देकर मार दिया गया।
  • कालपी नामक स्थान पर सांगा की मृत्यु हो गई। (समाधि – माडलगढ़) 
  • सांगा को ‘सैनिकों का भग्नावशेष’ तथा ‘हिन्दूपत’ कहते हैं।
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