Home » Jaimini.in » Explore Diverse Knowledge for Personal Growth and Financial Empowerment – Posts Page » 1857 की क्रांति | 1857 की क्रांति के प्रश्न उत्तर

1857 की क्रांति | 1857 की क्रांति के प्रश्न उत्तर

1857 की क्रांति PDF – 1832 ई. में A.G.G. ( Agent To Governer General ) मुख्यालय ‘अजमेर’ में स्थापित किया गया। 

1857 की क्रांति PDF | 1857 की क्रांति | 1857 की क्रांति के प्रश्न उत्तर
1857 की क्रांति PDF | 1857 की क्रांति | 1857 की क्रांति के प्रश्न उत्तर
  • राजस्थान के पहले A.G.G. ‘मि. लॉकेट‘ थे।
  • 1845 ई. में इस मुख्यालय को ‘आबू’ स्थानान्तरित कर दिया गया। 
  • 1857 की क्रांति के समय यहां A.G.G. (Geogre Patrick Laurence) था। 
  • Laurence इससे पहले मेवाड़ का ‘Political Agent’ रह चुका था। 
  • राजस्थान में अग्रेजों की सैनिक छावनियां- नसीराबाद (अजमेर), नीमच (मध्यप्रदेश), एरिनपुरा (पाली) देवली (टोंक), खैरवाड़ा (उदयपुर), ब्यावर (अजमेर)। 
  • ब्यावर व खेरवाड़ा सैनिक छावनियों ने क्रांति में भाग नहीं लिया।

1857 की क्रांति नसीराबाद

  • 28 मई 1857 ई. में राजस्थान में सबसे पहले नसीराबाद की छावनी में विद्रोह हुआ। 
  • 28 मई 1857 ई. को 15 वी. Netive Infantry के सैनिकों ने विद्रोह कर दिया। 
  • दो दिन बाद 30 वीं Native Infantry भी इनके साथ मिल गयी व सभी सैनिक दिल्ली की ओर कूच कर गए।

1857 की क्रांति नीमच

  • मोहम्मद अली बेग नामक एक सैनिकों ने कर्नल एबॉट के सामने अंग्रेजी राज के प्रति वफादार रहने की कसम नहीं खायी। 
  • 3 जून 1857 को हीरासिंह नाम के एक सैनिक के नेतृत्व में छावनी में विद्रोह हो गया। 
  • नीमच छावनी से भागे 40 अग्रेजों को डूंगला गांव में रूघाराम नामक किसान ने शरण दी। 
  • कैप्टन शावर्स इन्हें मुक्त करवाता हैं व उदयपुर महाराणा स्वरूपसिंह के पास भेज देता हैं। उदयपुर महाराणा ने इन्हें जगमंदिर महलों में रखा। 
  • यहां से विद्रोही सैनिक शाहपुरा आते हैं, शाहपुरा का राजा इन्हें सहायता करता हैं। 
  • शाहपुरा के राजा ने कैप्टन शावर्स का विरोध किया। 
  • यहां से सैनिक निम्बाहेड़ा आए। (उस समय टोंक के अधीन था।) 
  • निम्बाहेड़ा में इन्हें व्यापक जनसमर्थन मिलता हैं। निम्बाहेड़ा में देवली छावनी के सैनिक भी इनसे आकर जुड़ गये। यहां से सैनिक दिल्ली की ओर चले गये।

1857 की क्रांति एरिनपुरा

  • 21 अगस्त 1857 ई. 
  • 1835 ई. में जोधपुर लीजियन का गठन किया गया। इसका प्रमुख मुख्यालय एरिनपुरा को बनाया गया। 
  • एरिनपुरा छावनी की पूर्विया सैनिकों की टुकड़ी को आबू भेजा हुआ था। वहीं पर उन्होंने विद्रोह कर दिया और एरिनपुरा में आकर अपने बाकी साथियों के साथ मिल गए।
  • छावनी को लूटकर ‘चलों दिल्ली मारो फिरंगी’ के नारे लगाते हुए दिल्ली की ओर चल पड़े। खैरवा (पाली) नामक स्थान पर इन्हें आउवा का ठाकुर कुशालसिंह चाम्पावत मिलता हैं, व विद्रोही सैनिकों को अपना नेतृत्व प्रदान करता हैं।

1857 की क्रांति कुशालसिंह चम्पावत

  • बिठौड़ा गांव के उत्तराधिकारी प्रश्न को लेकर कुशालसिंह ने बिठौड़ा के ठाकुर कानजी की हत्या कर दी थी, हत्या करने से यह जोधपुर राज का विद्रोही हो गया। 
  • एरिनपुरा छावनी के सैनिकों के साथ जुड़ने से इसका यह विद्रोही अग्रेजों के विरूद्ध हो गया। 

(1) बिठौड़ा का युद्ध – 8 सितम्बर 1857। 

(2) चेलावास का युद्ध – 18 सितम्बर 1857। 

(3) आउवा का युद्ध :- 20 जनवरी 1858।

(1) बिठौड़ा का युद्ध 

  • कैप्टन हीथकोट + कुशलराज सिंघवी V/s कुशालसिंह 
  • कुशालसिंह जीत गया तथा जोधपुर का किलेदार ओनाडसिंह पंवार मारा गया।

(2) चेलावास का युद्ध 

  • इस काले – गोरे का युद्ध भी कहते हैं। 
  • A.G.G. George Patirick Lawrence व जोधपुर का Political Agent मैकमेसन अंग्रेजी सेना का नेतृत्व करते हैं। इस युद्ध में भी कुशालसिंह जीत गया। 
  • मैकमेसन के सिर को काटकर आउवा के किले पर लटका दिया गया।

(3) आउवा का युद्ध

  • अंग्रेजी सेना का नेतृत्व कर्नल होम्स व हंसराज जोशी कर रहे थे, जीत की आशा न देखकर कुशालसिंह
  • आउवा का भार अपने छोटे भाई पृथ्वीसिंह (लाम्बिया का ठाकुर) को सौपंकर मेवाड़ चला गया। 
  • मेवाड़ में कोठरिया (नाथद्वारा) के रावत जोधसिंह के पास शरण लेता हैं और यहां से सलूम्बर के केसरी सिंह चूडांवत के पास चला जाता हैं। 
  • आउवा में विद्रोही सैनिक हार जाते हैं, और आउवा की ईष्ट देवी सुगाली माता की मूर्ति ले जाते हैं, इसे
  • अजमेर के राजपूताना म्यूजियम में रखा। बाद में पाली के बांगड़ म्यूजियम में रखा गया था। 2014ई. में राजस्थान धरोहर संरक्षण तथा प्रोन्नति प्राधिकरण ने निर्णय लिया हैं कि इस मूर्ति को आउवा गांव में स्थापित किया जायेगा। 
  • कुशालसिंह का साथ देने वाले अन्य सामन्तः आलणियावास- अजीतसिंह, गूलर- बिशनसिंह, आसोप- शिवनाथसिंह – आउवा में हारने के बाद विद्रोही सैनिक शिवनाथसिंह के नेतृत्व में दिल्ली की ओर बढ़ते हैं। लेकिन नारनोल के पास गैर्राड की सेना से हार गये। 
  • 1860 ई. में कुशालसिंह नीमच में अग्रेजों के सामने आत्मसर्पण कर देता हैं। 
  • ‘टेलर कमीशन’ की जांच के आधार पर कुशालसिंह को बरी कर दिया गया।

1857 की क्रांति कोटा में जनविद्रोह

  • कोटा में वकील ‘जयदयाल’ व · रिसालदार मेहराब खां’ के नेतृत्व में क्रांति की गयी। (15 अक्टूम्बर 1857) – कोटा के पॉलिटिक्ल एजेन्ट बर्टन की हत्या कर दी गई।
  • कोटा महाराव रामसिंह द्वितीय को नजरबंद कर लिया गया। 
  • मथुराधीश मंदिर के महन्त कन्हैयालाल गोस्वामी व कोटा महाराव के बीच एक समझौता हुआ, बर्टन की हत्या के लिए स्वंय को जिम्मेदार ठहराने वाले परवाने पर कोटा महाराव ने हस्ताक्षर किए, जयदयाल को कोटा का प्रशासक नियुक्त कर दिया गया। 
  • करौली का शासक मदनपाल सेना भेजकर कोटा महाराव को मुक्त करवाता हैं। 
  • इसके भी काफी दिनों बाद ‘जनरल राबर्टस’ कोटा को क्रांतिकारियों से मुक्त करवाता हैं। 
  • अग्रेजों ने मेजर बर्टन की हत्या के लिए कोटा महाराव को निरपराध किन्तु उत्तरदायी घोषित किया। 
  • कोटा महाराव की तोपों की सलामी 15 से घटाकर 11 कर दी गयी।

1857 की क्रांति टोंक में विद्रोह 

  • टोंक का नवाब वजीरूद्दौला अंग्रेजों का समर्थक था। परन्तु नवाब के मामा मीर आलम ने विद्रोहीयों का साथ दिया। 
  • नीमच छावनी के सैनिकों का निम्बाहेड़ा में स्वागत किया गया विद्रोहियों का पीछा करती कर्नल जैक्सन की सेना का ताराचन्द पटेल ने सामना किया। 
  • टोंक में महिलाओं ने भी क्रांति में भाग लिया था। 

1857 की क्रांति तात्यां टोपे और राजस्थान

  • तात्यां टोपे सबसे पहले मांडलगढ़ (भीलवाड़ा) आया था। टोंक के नवाब के खिलाफ, नासीर मोहम्मद खां ने तात्यां टोपे का समर्थन किया।
  • बनास नदी के निकट हुये कुआड़ा युद्ध में तात्यां टोपे हार जाता हैं व हाड़ौती की तरफ चला जाता हैं। यहां पर झालावाड़ का राजा पृथ्वीसिंह तात्यां टोपे के विरूद्ध सेना भेजता हैं। ‘गोपाल पलटन’ को छोड़कर बाकी सेना ने युद्ध करने से मना कर दिया। 
  • पलायता नामक स्थान पर हुये युद्ध में तात्या टोपे जीत जाता हैं व पृथ्वीसिंह को भागना पड़ता हैं। 
  • थोड़े दिनों बाद अग्रेजों की मदद से ही पृथ्वीसिंह झालावाड़ पर पुनः अधिकार कर पाता हैं। 
  • पृथ्वीसिंह ने तात्या टोपे को 5 लाख रूपये भी दिए। 
  • सितम्बर 1857 ई. में तात्यां टोपे एक बार फिर बांसवाड़ा में आता हैं, सलूम्बर का रावत केसरीसिंह चूडांवत तात्यां टोपे की मदद करता हैं। 
  • बीकानेर के राजा सरदारसिंह ने भी तात्यां टोपे को 10 घुड़सवारों की सहायता दी। 
  • तात्यां टोपे को नरवर के जंगलों में (मानसिंह नरूका) ने गिरफ्तार करवा दिया। अग्रेजों ने तात्यां टोपे को फांसी दे दी। 
  • सीकर के एक सामन्त को तात्यां टोपे को शरण देने के आरोप में फांसी दे गयी। सीकर में तात्या टोपे की छतरी
  • तात्यां टोपे जैसलमेर को छोड़कर राजस्थान की बाकी सब रियासतों में गया था।
  • बीकानेर का महाराजा सरदारसिंह एकमात्र शासक था, जो अपनी रियासत से बाहर जाकर लड़ा था। (हिसार के  ‘बाड़लू’ नामक स्थान पर) 
  • अग्रेजों ने सरदारसिंह को टिब्बी परगने के 41 गांव दिए थे। 
  • जयपुर के सवाई रामसिंह ने भी अग्रेजो का साथ दिया था। 
  • अग्रेजो के विरूद्ध षड़यंत्र करने वालों को गिरफ्तार कर लिया था। 1. सादुल्ला खां 2. विलायत खां 3. उस्मान खां
  • अग्रेजो ने रामसिंह को ‘सितार ए हिन्द’ की उपाधि दी व कोटपूतली परगना दिया।
  • अलवर के राजा बनेसिंह के खिलाफ वहां के दीवान फैजल खान ने विद्रोहियों का साथ दिया। 
  • धौलपुर के राजा भगवन्तसिंह को विद्रोहियों से मुक्त करवाने के लिए पटियाला से सेना आयी थी। यहां पर राव रामचन्द्र व हीरालाल के नेतृत्व में क्रांति हुई। 
  • भरतपुर के राजा ने Political Agent मॉरीसन को भरतपुर छोड़ने का सुझाव दिया था। यहां की गुर्जर व मेव जनता विद्रोहियों के साथ हो गयी थी। 
  • बीकानेर के अमरचन्द बांठिया 1857 की क्रांन्ति में राजस्थान के पहले ऐसे शहीद थे, जिन्हें फांसी दी गयी। ये ग्वालियर के नगरसेठ थे, इन्होनें खजाने का सारे धन क्रांतिकारियों में वितरित कर दिया। इन्हें क्रान्ति का भामाशाह कहा जाता हैं। 
  • सूर्यमल्ल मिश्रण व बांकिदास ने अग्रेजों का साथ देने वाले राजाओं की निन्दा की।

1857 की क्रांति के प्रश्न उत्तर

राजस्थान के पहले A.G.G

राजस्थान के पहले A.G.G. ‘मि. लॉकेट‘ थे।

4.3/5 - (3 votes)
What’s your Reaction?
+1
0
+1
0
+1
0
+1
0
+1
0
+1
0
+1
0

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Scroll to Top
Ads Blocker Image Powered by Code Help Pro
Ads Blocker Detected!!!

We have detected that you are using extensions to block ads. Please support us by disabling these ads blocker.

Refresh