What Balanced Diet – संतुलित आहार किसे कहते हैं

Definition for balanced diet – संतुलित आहार की परिभाषा
संतुलित आहार और उसका हमारे जीवन में महत्व भोज्य पदार्थों के वे सभी आवश्यक अवयव, जो मनुष्य की शारीरिक क्षमता एवं कार्यकीय सक्रियता’ (Physiological Activities) को अक्षुण्ण रखने तथा उनमें अभिवृद्धि हेतु आवश्यक होते हैं, “संतुलित आहार’ कहलाते हैं।
संतुलित आहार के मुख्य 6 अंग हैं
1. शरीर निर्माणकारी उदाहरण- प्रोटीन
2. ऊर्जा- उत्पादक उदाहरण- कार्बोहाइड्रेट तथा वसा
3. शरीर- नियन्त्रक (उपापचयी नियन्त्रक)
उदाहरण- खनिज लवण तथा विटामिन
what is balanced diet and its importance
आपकी पोषण संबंधी आवश्यकता को पूरा करता है।
एक विविध, संतुलित आहार पोषक तत्वों की कमी से बचने के लिए आवश्यक पोषक तत्व प्रदान करता है।
कुछ बीमारियों को रोकें और उनका इलाज करें। स्वस्थ भोजन मधुमेह, कैंसर और हृदय रोग जैसी कुछ बीमारियों के विकास के जोखिम को रोक सकता है।
यह मधुमेह और उच्च रक्तचाप के इलाज में भी सहायक है।
एक विशेष आहार का पालन करने से लक्षण कम हो सकते हैं, और आपको किसी बीमारी या स्थिति को बेहतर ढंग से प्रबंधित करने में मदद मिल सकती है।
ऊर्जावान महसूस करें और अपना वजन प्रबंधित करें। एक स्वस्थ आहार आपको उच्च महसूस करने, आपको अधिक ऊर्जा प्रदान करने और तनाव से लड़ने में मदद करेगा।
भोजन कई सामाजिक और सांस्कृतिक कार्यक्रमों का मुख्य आधार है। पोषण गुणों के अलावा, यह व्यक्तियों के बीच संबंधों को आसान बनाने में मदद करता है।
प्रोटीन – Protein
यह कार्बन, हाइड्रोजन, ऑक्सीजन, नाइट्रोजन, सल्फर, लोहा तथा ताँबा का बना होता है।
ये (प्रोटीन) जीव द्रव्य (Protoplasm) के प्रमुख आवश्यक अवयव हैं। ये ‘अमीनों अम्ल’ (प्रोटीन की इकाई) से निर्मित होते हैं।
इनका मुख्य कार्य शरीर में वृद्धि, जीव द्रव्य की उत्पत्ति तथा टूटे-फूटे ऊतकों (Tissues) की मरम्मत करना है। हमारे शरीर के लिए कुल 20 ‘अमीनों अम्ल‘ की आवश्यकता होती है, जिनमें 10 अमीनों अम्ल का निर्माण शरीर के अन्दर स्वतः होता है, जो गैर-आवश्यक (Non Essential) अमीनों अम्ल कहलाते हैं तथा अन्य 10 भोजन के माध्यम से प्रापत होते हैं जो ‘आवश्यक’ (Essential) अमीनों अम्ल कहलाते हैं।
अण्डे और ‘सीरम’ में- ‘अल्ब्यूमीन‘ प्रोटीन, रक्त में’ग्लोबीन’ प्रोटीन, दूध में- ‘केसीन‘, बालों एवं सींगों में’किरैटीन’, गेहूँ में- ‘ग्लाइएडीन‘, अकशेरूक जन्तुओं के रक्त में– ‘हीमोसाइनीन‘ प्रोटीन पाया जाता है।
01 ग्राम प्रोटीन का पूर्ण ऑक्सीकरण होने पर 4.1 किलो कैलोरी ऊर्जा प्राप्त होती है। हमारे शरीर के लिए कुल आवश्यक ऊर्जा का 15% भाग प्रोटीन से प्राप्त होता है।
प्रोटीन के स्रोत- अण्डा, सोयाबीन, मांस, मछली, दालें इत्यादि हैं। इनमें- सोयाबीन में 43.2%, मांस में 21.4%, गेहूँ में- 12.1%, मछली में 16.6%, अण्डा में 13%, प्राप्त होता है। प्रोटीन की कमी से- मैरेमस और क्वासर कोर रोग हो जाते है
वसा – Fat
Fat – वसा :- कार्बन, हाइड्रोजन और ऑक्सीजन के बने होते हैं। इनमें ऑक्सीजन का अनुपात हाइड्रोजन की अपेक्षा कम होता है, इसलिए ऑक्सीकरण पर प्रोटीन और कार्बोहाइड्रेट की अपेक्षा अधिक ऊर्जा (दो-गुनी) प्राप्त होती है। (हाइड्रोजन का कैलोरिक मूल्य अधिक होता है।
वसा के ऑक्सीकरण पर वसीय अम्ल और ग्लिसराल नामक 2 उत्पाद प्राप्त होते हैं।
वसा का संचय वसा-ऊतकों (Adipose Tissue) में होता है। 1 ग्राम वसा के ऑक्सीकरण से लगभग 9.3 किलो कैलोरी ऊर्जा प्राप्त होती है। हमारे शरीर के लिए आवश्यक ऊर्जा का 35% भाग ‘वसा‘ से प्राप्त होता है। वनस्पति तेल, बादाम, मांस, घी, वसा के मुख्य स्रोत हैं।
बादाम में- 58.9%, मूंगफली में- 40%, सोयाबीन में- 19.5%, चना में 5.6%, मछली में- 1.4%, वसा होती है।
कार्बोहाइड्रेट – Carbohydrate
यह कार्बन, हाइड्रोजन तथा ऑक्सीजन से मिलकर बना होता है।
इसमें हाइड्रोजन एवं ऑक्सीजन का अनुपात 2 : 1 होता है। काइटीन कार्बोहाइड्रेट में नाइट्रोजन भी पाया जाता है। कार्बोहाइड्रेट के प्रमुख स्रोत हैं- गेहूँ, चावल, केला, गन्ना, आदि। गेहूँ में- 79.2%, चावल में- 78.2%, केला में- 20, चना में- 59.8%, मूंगफली में__46.1% कार्बोहाइड्रेट होता है।
Carbohydrate – कार्बोहाइड्रेट 3 प्रकार के होते हैं
(1) मोनोसैकराइड्स– ये अंगूर, शहद और दूध से प्राप्त होते हैं। अंगूर की शर्करा को ‘ग्लूकोज’, शहद की शर्करा कोफ्रक्टोज। फ्रक्टोज को फलों की शर्करा कहा जाता है। फ्रक्टोज सबसे मोटी प्राकृतिक शर्करा है। सैक्रीन सबसे मीठी कृत्रिम शर्करा होती है जिसका उपयोग मधुमेह के रोगी करते
(2) डाइसैकराइड्स– ये 2 मोनोसैकराइड्स अणुओं के मिलने से बनते हैं। ये दूध, मीठे फल, गाजर, गन्ना, चुकन्दर इत्यादि में पाये जाते हैं। दूध की शर्करा को- लैक्टोज, – (ग्लूकोज और गैलक्टोज के संयुक्त होने से), गन्ने की शर्करा को सुक्रोज (सबसे मीठा), (ग्लूकोज और फ्रक्टोज के मिलने से) कहते हैं। दूध की शर्करा लैक्टोज को कहते हैं।
(3) पाली सैकराइड्स – Polysaccharides– ये जटिल कार्बोहाइड्रेट होते हैं।
कई मोनो सैक्रराइड्स अणुओं के मिलने से) और जल में अघुलनशील (Nonsolible) होते हैं। ये वनस्पतियों से प्राप्त होते हैं।
आलू एवं अनाज की शर्करा कोमंड (Starch), कोशिका भित्ति की शर्करा को सैलुलोज, मनुष्य में संचित शर्करा को- ग्लाइकोजन कहते हैं।
ग्लाइकोजन यकृत (Liver) में संचित होते हैं।
Chitin कुछ जन्तुओं के वाह्य कंकाल के निर्माण में सहायक होता है जैसे- घोंघा, सिपी आदि। Chitin की कठोरता का कारण इसके रासायनिक संगठन में कैल्शियम कार्बोबोनेट यौगिक पाया जाता है।
ग्राम कार्बोहाइड्रेट से 4.1 किलो कैलोरी ऊर्जा प्राप्त होती है।
शरीर के लिए आवश्यक कुल ऊर्जा का 50% भाग कार्बोहाइड्रेट से प्राप्त होता है।
मधुमक्खियों पुष्प का पराग (अर्थात् सुक्रोज) चूस कर इसे शहद (अर्थात् फ्रक्टोज) में रूपान्तरित कर देती है।
आवश्यक कैलोरी ऊर्जा – Required Calorie Energy
एक सामान्य व्यक्ति को प्रतिदिन भोजन में 450 ग्राम कार्बोहाइड्रेट, 100 ग्राम प्रोटीन तथा 80 ग्राम वसा लेनी चाहिए।
कठिन शारीरिक परिश्रम करने वाले व्यक्ति को 600 ग्राम कार्बोहाइड्रेट तथा 420 ग्राम प्रोटीन लेनी चाहिए।
किसी भोजन में 100 ग्राम से जितनी ऊर्जा मिलती है/निकलती है, उसे ‘कैलोरी मान’ कहते हैं।
बादाम में 655 कैलोरी/100 ग्राम, काज में 596, मूंगफली में 567, सोयाबीन में 432, चना में 372, चावल में 347, गेहूँ में 344, मांस में 194, अण्डा में 173, दूध में 117 कैलोरी ऊर्जा प्रति 100 में होती है।
(I) मानसिक कार्य / श्रम करने वाले व्यक्ति (जैसे वैज्ञानिक, डॉक्टर, इंजीनियर) को- 3000 से 3200 किकै
(Ii) मशीन चलाने वालों (टर्नर, मोटर ड्राइवर, वस्त्र उद्योग के मजदूर) को- 3500 किलो कैलोरी
(Iii) आंशिक मशीनीकृत शारीरिक कार्य में लगे व्यक्ति (जैसे- यन्त्र बनाने वाले, कृषि मजदूर, फिटर) को4000 किलो कैलोरी
(Iv) कठिन शारीरिक परिश्रम करने वाले (जैसे- कुली, गोदी मजदूर, आदि) को 4500 से 5000 किलो कैलोरी।
(V) गर्भवती महिला को- 2800 किलो कैलोरी ऊर्जा आवश्यक होती है।
दूध को एक संतुलित या पूर्ण आहार माना जाता है लेकिन इसमें विटामिन-सी तथा आयरन नहीं पाये जाते, जबकि अन्य सभी अवयव एवं तत्व पाये जाते हैं।
दूध का सफेद रंग दूध में उपस्थित- ‘केसीन’ प्रोटीन के कारण, हल्का पीला रंग (गाय का दूध) – राइबोफ्लेवीन (Riboflavin) के कारण (कहीं-कहीं कैरोटीन का उत्तरदायी माना गया है) तथा मीठापन- “लैक्टोज’ सुगर (Sugar- शर्करा) के कारण होता है।
केवल दूध का लगातार सेवन करते रहने से ‘एनीमिया’ (रक्त हीनता-लोहा की कमी के कारण) रोग हो जाता है।
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