जाट वंश ( भरतपुर ) – Jat dynasty

जाट वंश ( भरतपुर ) – Jat Dynasty

जाट वंश ( भरतपुर )
जाट वंश ( भरतपुर )
  • राजस्थान के पूर्वी भाग भरतपुर, धौलपुरस डींग आदि क्षेत्रों पर जाट वंश का शासन था। 
  • 1667 ई. में मथुरा क्षेत्र के आस-पास के जाट किसानों ने औरंगजेब के विरूद्ध विद्रोह कर दिया था। इस विद्रोह का नेतृत्व ‘गोकुला’ नामक जाट किसान ने किया था। गोकुला को पकड़कर उसकी हत्या कर दी। 
  • 1687 ई. में सिनसिनी का जमींदार राजाराम विद्रोह कर देता हैं। सिकन्दरा में अकबर के मकबरे को लूट लेता हैं, और अकबर की अस्थियों को निकालकर जला देता हैं। राजाराम के विद्रोह को भी दबा दिया जाता

चूडामण

  • जाट राज्य की स्थापना की।
  • थूण किले का निर्माण करवाया 

बदनसिंह 

  • सवाई जयसिंह की सहायता से अपने भाई मोहकमसिंह को हराकर राजा बना।
  • सवाई जयसिंह ने इसे डीग की जागीर तथा बृजराज की उपाधि दी। इसने डीग के किले का निर्माण करवाया।

सुरजमल (1753-63) 

  • सूरजमल को ‘जाटो का प्लेटों’ और ‘जाटो का अफलातून’ कहते हैं। 
  • भरतपुर के किले का निर्माण करवाया व अपनी राजधानी बनाया। 
  • पानीपत के तीसरे युद्ध में भागते हुये मराठा सैनिकों को भरतपुर में शरण देता हैं। 
  • 1754 ई. में दिल्ली पर आक्रमण करता हैं, वहां से नूरजहां का झूला उठाकर लाता हैं। और इन झूलों को डीग के महलों में स्थापित करवाया। 
  • डीग में जलमहलों का निर्माण करवाया। 
  • सूरजमल एक आर्थिक विशेषज्ञ था, उसने भरतपुर की आर्थिक स्थिति सुधारने का अधिक प्रयास किया। 
  • उसकी मृत्यु के समय 1763 ई. में भरतपुर राज्य की आय 175 लाख रू. सालाना थी। 
  • सूरजमल ने भरतपुर में एक नवीन प्रशासनिक व्यवस्था की स्थापना की, जिसमें पद का आधार योग्यता को बनाया गया। 
  • भरतपुर में दीवान को ‘मुखत्यार’ कहते थे। 
  • सूरजमल के दरबारी ‘मगंलसिंह पुरोहित’ रहें, जिन्होनें ‘सुजान संवत विलास’ नामक पुस्तक लिखी। का निर्माण करवाया। भरतपुर की आर्थिक 175 रू. सालाना हैं

जवाहरसिंह 

  • 1774 ई. में दिल्ली पर आक्रमण करता हैं, व दिल्ली के किले से अष्ट धातुओं के बने दरवाजे लेकर आता हैं, इन्हें भरतपुर के किले में लगवाता हैं। ये दरवाजे मुल रूप से चित्तौड़ के किले में लगे हुये थे, जिन्हें अकबर चित्तौड़ अभियान के दौरान आगरा ले गया था, फिर औरंगजेब इन्हें आगरा से दिल्ली ले आता हैं। 
  • जवाहरसिंह इस जीत के उपलक्ष्य में भरतपुर के किले में जवाहर बुर्ज का निर्माण करवाता हैं, जवाहर बुर्ज में भरतपुर के राजओं का राज तिलक किया जाता हैं।

रणजीतसिंह 

  • 1803 ई. में दूसरे अंग्रेज-मराठा युद्ध के दौरान ‘जसवंत राव होल्कर‘ को भरतपुर में शरण देता हैं। 
  • अग्रेज सेनापति लॉर्ड लेक भरतपुर पर पांच आक्रमण करता हैं। लेकिन जीत नहीं पाता हैं। इसलिए भरतपुर के किले को लोहागढ़ कहा जाता हैं। 
  • कालान्तर में अग्रेजो के साथ संधि कर ली।
Rate this post
What’s your Reaction?
+1
0
+1
0
+1
0
+1
0
+1
0
+1
0
+1
0

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Scroll to Top
Ads Blocker Image Powered by Code Help Pro
Ads Blocker Detected!!!

We have detected that you are using extensions to block ads. Please support us by disabling these ads blocker.

Refresh