Diagram of female reproductive system

Diagram of female reproductive system
Diagram of female reproductive system

जनन तन्त्र ( Reproductive System ) सन्तानोत्पत्ति के उत्तरदायी अंगों के तन्त्र जनन-जन्त्र कहलाते हैं। ये नर और मादा में भिन्न-भिन्न होते हैं।

नर जनन अंगों के अन्तर्गत् वृषण (Testes), शुक्राशय ( Seminal Vesicle ), शिशन (Penis) आदि 17 अंग आते हैं, जिनमें 2 काउपर एवं प्रास्टेट ग्रंथियाँ हैं।

वृषण में शुक्र (Sperm- नर जनन कोशिका) का निर्माण होता है। इनका संग्रहण शुक्राशय में होता है। अर्थात् वृषण एक फैक्ट्री का कार्य करता है, जबकि शुक्राशय भण्डार गृह (Storage) का कार्य करता है। ‘शुक्रीय द्रव्य’ का निर्माण प्रॉस्टेट ग्रन्थि (prostate Gland) में होता है और इस द्रव्य में शुक्र मिले रहते हैं।

Female Reproductive System – मादा जनन तन्त्र के अन्तर्गत योनि (Vagina), गर्भाशय (Uterus), डिम्ब वाहिनी (Fallopian Tube) डिब्ब ग्रन्थियाँ (Ovaries) आदि लगभग 16 अंग एवं ग्रन्थि आते हैं। इनमें डिम्ब ग्रन्थियों से प्रति 28 दिन (चान्द्र मास) पर एक परिपक्व डिम्ब (Ova) निर्मित होकर मुक्त होता है और डिम्ब वाहिनी में आता है, जहाँ पर इसका सम्पर्क शुक्र से होने पर निषेचन (Fertilization) होता है।

निषेचन के पश्चात निषेचित अण्डे का विकास गर्भाशय में होता है और विकास के फलस्वरूप शिशु का जन्म होता है। उदरस्थ शिशु का भरण-पोषण ‘प्लेसेन्टा’ ( Placenta ) के माध्यम से होता है।

सभी जीवों मेंअपने ही जैसे संतान उत्पन्न करने का गुण होता है इसी गुण को प्रजनन कहते हैं।

प्रजनन के द्वारा पुरुष और स्त्री के जननांगों से स्रावित शुक्राणु और अण्डाणु मिलकर नया भ्रूण बनाते हैं।

पुरुष और स्त्री का Reproductive System प्रजनन तंत्र भिन्न-भिनन अंगों से मिलकर बना होता है।

पुरुष प्रजननतंत्र ( Male Reproductive System ) के प्रमुख अंग हैं- अधिवृषण ( Epididymis ), वृषण ( Testes ), शुक्रवाहिका (Vas Deferens), शुक्राशय ( Seminal Vesicle ), पुरस्थ ( Prostate ), शिश्न ( Penis ) आदि ।

स्त्री प्रजननतंत्र ( Female Reproductive System ) के प्रमुख अंग हैं- शर्तशेल (Mons veneris), वृहत्त भगोष्ठ (Labium major), लघु भगोष्ठक, भगशिश्निका (Clitoris), योनि ( Vagina ), अंडाशय ( Ovaries ), डिम्बवाहिनी नली तथा गर्भाशय ( Uterus ) आदि।

विभिन्न जन्तुओं का गर्भाधान समय

जन्तु का नामगर्भाधान समय
घोड़ा (Horse)340 दिन
हाथी (Elephant)606-610 दिन
बाघ (Tiger)103 दिन
कंगारू (Kangaroo)6-11 दिन
गधा (Ass)340 दिन
सूअर (Pig)101-120 दिन
भेंड़ (Sheep)135-160 दिन
भेड़यिा (Wolf)61-63 दिन
जेबरा (Zebra)340 दिन
गोरिल्ला (Gorilla)250-270 दिन
तेंदुआ (Leopard)90-105 दिन
चूहा (Rat)21 दिन
गिलहरी (Squirrel)40 दिन
भैंस (Buffalo)310-330
दिन चीता (Panther)91-95 दिन
बिल्ली (Cat)50 दिन
हिरण (Deer)150-180 दिन
जिराफ (Giraffe)453-464 दिन
बकरी (Goat)150 दिन
सियार (Jackal)63 दिन
शेर (Lion)100-120 दिन
खरहा (Hare)28-35 दिन

वृषण (Testes) नर जनन ग्रंथि है, जो अण्डाकार होता है। इसका कार्य शुक्राणु (sperms) उत्पन्न करना है। शुक्राणु की लंबाई 5 मइक्रॉन होती है। शुक्राणु शरीर में 30 दिन तक जीवित रहते हैं, जबकि मैथुन | के बाद स्त्रियों में केवल 72 घंटे तक जीवित रहते हैं। शिश्न पुरुषों का संभोग करने वाला अंग है। स्त्रियों में दो अंडाशय (ovaries) बादाम के आकार के भूरे रंग के होते हैं। इनका मुख्य कार्य अण्डाणु पैदा करना हैं अंडाशय में ऑस्ट्रोजन (oestrogen) तथा प्रोजेस्टेरॉन (Progesterone) का स्राव होता है, जो ऋतुस्राव को नियंत्रित करते हैं।

एशियाई हाथी का गर्भाधानकाल सबसे अधिक 609 दिन होता है। अंडाणु की परिधि 100-125 मिमी. तक होती है। गर्भाशय नाशपाती के आकार का होता जो मूत्राशय के पीछे तथा मलाशय के आगे स्थित होता है। शुक्राणु और डिम्ब के मिलन को निषेचन (Fertilization) कहते हैं। ऋतुस्राव (Menstruation) को रजोधर्म, आर्तव या मासिक

धर्म भी कहते हैं। • ऋतुस्राव स्त्रियों में प्रायः 12-14 वर्ष की अवस्था से प्रारंभ

होकर 45-50 वर्ष की आय तक होता है।

Sex Determinationलिंग निर्धारण

what is sex determination

Sex Determination - लिंग निर्धारण
Sex Determination – लिंग निर्धारण

नव शिशु में लिंग निर्धारण गैमिटोजेनिसिस एवं लिंग गुणसूत्र | (Gametogenisis and Sex Chromosomes) के विभाजन पर निर्भर करता है।

मानव में 23 जोड़े गुणसूत्र (Chromosomes) होते हैं, जिनमें 22 जोडत्रे Autosomes तथा एक जोड़ा लिंग गुण सूत्र (Sex Chromosome) होता है।

इस एक जोड़े को X एवं Y द्वारा प्रदर्शित किया जाता है।

नर में लिंग गुण सूत्र XY प्रकार का तथा मादा में XX प्रकार का होता है। लिंग निर्धारण में नर (Male) की | ही भूमिका होती है, न कि मादा की। यदि X मादा और X नर गुण सूत्र मिलते हैं तो शिशु मादा (Female) होगा।

यदि मादा और Y नर गुणसूत्र मिलेंगे तो शिशु ‘नर’ (Male) होगा।

लिंग गुणसूत्र (Sex Chromosomes) पर कुछ बीमारियों या शारीरिक असमानता (Disorder) के जीन (Gene) उपस्थित होते हैं।

ऐसी स्थिति में शारीरिक असमानता (Disorder) का होना या न होना शिशु लिंग पर निर्भर करता है।

इस प्रक्रिया को ‘लिंग वंशानुक्रम संपर्क (Sex Link Inheritance) कहते हैं जो नर या मादा में किसी को भी एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी में हो जाता है। जैसे- Piles

किन्तु ‘गंजापन’ (Bladness) ऐसी असमानता (Disorder) है, जो अगली पीढ़ी के केवल पुरुषों में देखा जाता है। वर्णान्धता (Colour Blindness), हीमोफीलिया, डाउन सिन्ड्रोम आदि शारीरिक असमानता से सम्बन्धित रोग हैं।

जुड़वा शिशु ( Twin )

सामान्य रूप से एक शुक्र __ (Sperm) एक अण्डा (Ova) को निषेचित (Fertilize) कर पाता है, क्योंकि एक मासिक चक्र (Manstruation Cycle) की समाप्ति के पश्चात मात्र एक अण्डे का निश्काषन होता है, किन्तु कभी-कभी असमानता होती है, जिसके कारण जुड़वा बच्चे पैदा होते हैं।

ये स्थितियाँ 2 हैं(i) यदि एक अण्डे की जगह 2 अण्डे का निर्माण होता है तो यह 2 अलग-अलग शुक्राणु के द्वारा निषेचित होता है।

परिणामत: 2 निषेचित अण्डे गर्भाशय (Ovary) में उतरते हैं और 2 अलग-अलग प्लेसेन्टा (Placenta) के द्वारा माता की उदर की दीवार से जुड़ जाते हैं हैं, जिससे 2 अलग-अलग भिन्न प्रकार के शिशु पैदा होते हैं जो असमान जुड़वा बच्चे (Non-Identical Twin) कहे जाते हैं तथा ये नर या मादा कुछ भी हो सकते हैं।

इन बच्चों के गुण एवं प्रवृत्ति 2 अलग-अलग बच्चों की तरह होती है। इनका जन्म एक साथ होता है।

(ii) इसके विपरीत यदि एक अण्डा एक शुक्राणु से निषेचन के पश्चात गर्भाशय में पहुँचने बाद नव शिशु के विकास के पहले ही 2 भागों में विभाजित हो जाता है तो इन दोनों भाग से अलग-अलग शिशुओं का विकास होता है, जो सदैव एक ही लिंग के होते हैं और एक ही प्लेसेन्टा द्वारा जुडत्रे होते हैं।

  • इन्हें पहचानना भी कठिन हो जाता है। इन्हें ‘सम-जुड़वा’ (Identical Twin) कहते हैं।
  • भ्रूणावस्था के समय शिशु को माता के उदर से भोजन पहुँचाने का कार्य करने वाला अंग Placenta कहलाता है।
  • अन्तःस्रावी ग्रन्थियों में कौन-सी ग्रन्थि नलिका युक्त होती है ? -लैंगर हैन्स द्वीपिका।
  • व्यक्ति के बौनेपन के लिए उत्तरदायी हार्मोन- ‘वृद्धि-हार्मोन’
  • (Growth Hormon) किस ग्रन्थि से स्रावित होता है ? -पीयूष ग्रन्थि।
  • शरीर की सबसे बड़ी अन्तःस्रावी ग्रन्थि कौन-सी है ? -थायराइड (Thyroid)
  • किस हार्मोन के अल्प स्रावण के कारण ‘पेंघा रोग’ (Goitre Disease) हो जाता है?-थायराक्सिन (Thyroxin)
  • हड्डी में कैल्सियम एवं फास्फोरस की मात्रा को कौन-सा हार्मोन नियन्त्रित करता है ? -पैराथार्मोन।
  • ‘हार्मोन्स’ किसके बने होते हैं ? -प्रोटीन तथा एस्टीरायड (वसीय पदार्थ)
  • भय या आवेश की स्थिति में अचानक स्रावित वह हार्मोन कौन-सा है, जो व्यक्ति को विषम परिस्थिति का सामना करने के लिए प्रेरित करता है ? -एड्रिनेलीन (Adrenaline)
  • किस हार्मोन की कमी के कारण शक्कर रूधिर में चला जाता है और रक्त वाहिनियों में रक्त के दबाव को बढ़ाकर ‘ब्रेन हैमरेज’ या ‘हृदय आघात’ (Heart Attack) का कारण बन सकता है ? -इन्सुलीन (Insuline) |
  • किस हार्मोन को गर्भावस्था में नियन्त्रण के कारण ‘प्रिगनैन्सी हार्मोन’ (Pregnancy Hormone) के नाम से जाना जाता है ? -प्रोजेस्टेरान (Projesteron)
  • गर्भस्थ भ्रूण (शिशु) का भरण-पोषण किसके माध्यम से होता है ? -प्लेसेन्टा (Placenta) |
4.2/5 - (11 votes)
What’s your Reaction?
+1
0
+1
0
+1
0
+1
0
+1
0
+1
0
+1
0

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Scroll to Top
Ads Blocker Image Powered by Code Help Pro
Ads Blocker Detected!!!

We have detected that you are using extensions to block ads. Please support us by disabling these ads blocker.

Refresh