Structure of bacteria cells – जीवाणु

Structure Of Bacteria Cells – जीवाणु

Structure Of Bacteria Cells - जीवाणु
Structure Of Bacteria Cells – जीवाणु

जीवाणु BACTERIA‘ की खोज 1683 ई. में एंटोनी वॉन ल्यूवेनहॉक द्वारा की गई तथा जीवाणु – BACTERIA नाम 1829 ई. में एहरेनबर्ग द्वारा रखा गया।

रॉबर्ट कोच (1843-1910 ई.) ने जर्म-सिद्धांत (Germ _theory) का प्रतिपादन किया तथा कॉलरा एवं तपेदिक के जीवाणुओं की खोज की।

लुई पाश्चर (1812–92 ई.) द्वारा दूध के पाश्चुराइजेशन तथा रेबीज के टीके की खोज की गई।

जीवाणुओं की आकृति कई प्रकार की होती है।

कुछ जीवाणु – BACTERIA आकृति में छड़नुमा या बेलनाकार (Bacillus) होते हैं। सबसे छोटे जीवाणुओं का आकार गोलाकार (cocus) होता

कुछ जीवाणुओं का आकार कौमा ( , ) की तरह होता है। उदाहरण-विब्रियो कॉलेरी।

कुछ जीवाणु सर्पिलाकार (Spiral), स्प्रिंग या स्क्रू के आकार के होते हैं।

स्वतंत्र रूप से मिट्टी में निवास करने वाले जीवाणु अजोटोबैक्टर, एजोस्पाइरिलम एवं क्लोस्टीडियम मिट्टी के कणों के बीच स्थित वायु के नाइट्रोजन का स्थिरीकरण (Nitrogen fixation) करते हैं।

वायु मंडल में नाइट्रोजन-स्थिरीकरण का कार्य एनाबीना तथा नॉस्टॉक नामक सायनों-बैक्टीरिया द्वारा होता है।

मटर के पौधों की जड़ों में नाइट्रोजन-स्थिरीकरण का कार्य इनके जड़ों में रहने वाले सइजोबियम तथा ब्रैडीराइजोबियम नामक जीवाणुओं द्वारा होता है। दूध को अधिक दिनों तक सुरक्षित रखने के लिए इसका ‘पाश्चुराइजेशन’ करना आवश्यक है।

चमड़ा उद्योग में चमड़े से बालों एवं वसा को हटाने का कार्य जीवाणुओं द्वारा होता है। इसे टैनिंग (Tanning) कहा जाता है।

जीवाणु कोशिका में Curcular DNA पाया जाता है। वे पदार्थ जो सूक्ष्म-जीवों (Micro-organisms) द्वारा उत्पन्न किये जाते हैं तथा सूक्ष्म जीवों को ही नश्ट करते हैं प्रतिजैविक (Antibiotic) कहलाते हैं।

एंटीबायोटिक शब्द का इस्तेमाल सर्वप्रथम सेलमन वाक्समैन ने किया।

Rate this post

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Scroll to Top